Barmer district
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश
भारत
राज्य
राजस्थान
ज़िला
बाड़मेर
जनसंख्या
83,517 (2001 के अनुसार )
क्षेत्रफल
• ऊँचाई (AMSL)
• 227 मीटर (745 फी॰)
विभिन्न कोड
• पिनकोड • 344001
• दूरभाष • +02982
बाड़मेर के पहले शहीद मंगल सिंह राणावत थे जो कि द्वितीय विश्व युद्ध में वीरता से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए . रेवाडा जैतमाल उनका गांव है | इस जिले में एक गोलिया महेचा नाम का भी गांव है और बाड़मेर से लगभग 85 किलोमीटर दूर है जो इस जिले की संस्कृति और परंपरा को बहुत ही आकर्षक तरीके से दर्शाता है|
यंहा पर जाट जाति अत्यधिक संख्या में निवास करती है । शौभाला जैतमाल (धोरीमन्ना) भी बाडमेर में स्थित है।
मुख्य आकर्षण[1] संपादित करें
बाटाड़ू का कुआँ
संंगमरमर से निर्मित यह कुआँ बायतू तहसील के बाटाड़ू कस्बे में बना हुआ है। कलात्मकता व धार्मिक आस्था का केंद्र यह कुआं ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जाना जाता है। राजस्थान के इतिहास में इस कुएं को जलमहल के नाम से जाना जाता है। रियासतकालीन यह कुआं जो बीते कई दशकों से बाटाड़ू एवं आस-पास के गांवों के लिए पीने के पानी का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत रहा है,हालांकि अभी वहां पर केयर्न कंपनी द्वारा पानी को 'RO filtered' करके 'Water ATM' के जरिए भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। लेकिन फिर भी इस कुऐं का महत्व कम नहीं हुआ है,आजकल के युवा इसका महत्व जानकर इस ऐतिहासिक स्थल पर 'सेल्फ़ी क्लिक' करते अमूमन नज़र आ जाते हैंं।
इसलिए ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है यह कुआं
बाटाडू मुख्यालय पर स्थित यह कुआं 60 फीट लंबा, 35 फीट चौड़ा, 6 फीट ऊंचा व 80 फीट गहरा है। कुएं की उत्तर दिशा में एक बड़ा कुंड बना है, जिसकी गहराई 5 फीट है। इस कुंड के बीच में एक मकराना निर्मित पत्थर के स्टैंड के ऊपर बड़े आकार में संगमरमर की गरुड़ प्रतिमा बनी हुई है,जिस पर भगवान विष्णु अपनी पत्नी लक्ष्मी के साथ विराजित है। जो कुएं का मुख्य आकर्षक है। इस कुएं पर जाने के लिए एक मुख्य द्वार तथा एक निकासी द्वार है। इस दोनों द्वार पर दो सिंह प्रतिमाएं लगी हुई है। इसके चारों ओर श्लोकों के साथ ही कई राजा-महाराजाओं और देवी-देवताओं की कला का वर्णन किया गया है। इसके साथ ही यहां पर संस्कृत में उत्कीर्ण श्लोकों में गाय की महिमा का वर्णन किया हुआ है।
सिणधरी रावल ने करवाया था निर्माण
सन् 1947 के काल में मारवाड़ क्षेत्र में भयंकर अकाल पड़ा। उस दौरान यहां के लोग रोजी रोटी की तलाश में बाहर जाने के लिए मजबूर हुए और दूर-दूर तक कहीं पीने का पानी उपलब्ध नहीं था। ऐसी स्थिति को देखते हुए सिणधरी रावल गुलाबसिंह ने इस कुएं का निर्माण करवाया था।एक समय में जसोल मालाणी का प्रमुख क्षेत्र था। रावल मल्लीनाथ के नाम पर परगने का नाम मालाणी पड़ा, इस प्राचीन गांव का नाम राठौड़ उपवंश के वंशजों के नाम पर पड़ा। यहां पर माता राणी भटियाणी का मंदिर जसोल का मुख्य आकर्षण हैं। यहां एक चमत्कारिक देवी माता रानी भटीयाणी का मन्दिर है। देश भर से इस मंदिर और जसोल हर साल लाखों लोग पहुँचते है।
खेड़ संपादित करें
राठौड़ वंश के संस्थापक राव सिहा और उनके पुत्र ने खेड़ को गुहिल राजपूतों से जीता और यहां राठौड़ों का गढ़ बनाया। रणछोड़जी का विष्णु मंदिर यहां का प्रमुख आकर्षण है। मंदिर के चारों और दीवार बनी है और द्वार पर गुरुड़ की प्रतिमा लगी है जिसे देख कर लगता है मानो वे मंदिर की रक्षा कर रहे हों। पास ही ब्रह्मा, भैरव, महादेव और जैन मंदिर भी हैं। जो सैलानियो क मुख्य आकर्स्न का केन्द्र है। गुहिल राजपूत यहाँ से भावनगर चले गये और १९४७ तक शासन किया।
ब्रह्मधाम आसोतरा संपादित करें
बालोतरा उपखण्ड मुख्यालय से 12 किमी दूर जालोर रोड़ पर एक आसोतरा गांव है। यह वही गाँव है जहाँ विश्व का दूसरा ब्रह्मा मन्दिर है। जिनका निर्माण ब्रह्मऋषि संत खेतारामजी महाराज ने करवाया था। पहला मन्दिर जो पुष्कर (अजमेर),राजस्थान में स्थित है। इस मंदिर के साथ साथ संत शिरोमणि खेतेश्वर महाराज के खेतेश्वर जी की समाधि और ब्रम्ह सरोवर विख्यात है। इस मंदिर की मूर्ति 1984 में स्थापित की गई।
मल्लीनाथ मेला संपादित करें
तिलवाड़ा में आयोजित होने वाला पशुमेला राज्य का तीसरा बड़ा मेला है। पुष्कर, नागौर के बाद यह राजस्थान का तीसरा बड़ा पशु मेला है जहाँ आने वाले पशुओं की तादात लाखो में होती है।राठौड़ राजवंश के रावल रावल मल्लीनाथ के नाम पर मल्लीनाथ मेला राजस्थान के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक है। यह बाड़मेर जिले के तिलवाडा गांव में चैत्र बुदी एकादशी से चैत्र सुदी एकादशी (मार्च-अप्रैल) में आयोजित किया जाता है। इस मेले में उच्च प्रजाति के गाय, ऊंटों, बकरी और घोडों की बिक्री के लिए लाया जाता है। इस मेले में भाग लेने के लिए सिर्फ गुजरात से ही नहीं बल्कि गुजरात और मध्य प्रदेश से भी लोग आते हैं। इस मेले का विशेष तौर पर पशु व्यापारी प्रतिक्षा करते हैं। मलिनाथ का जन्म माता रानिदे के घर पर 1358 को हुआ था बाड़मेर का परगने का नाम मालानी इन्हीं के नाम पर रखा गया तिलवाड़ा के पास में ही मालाजाल के पास में मलीनाथ की पत्नी रूपादे का मंदिर है मलीनथ के गुरु का नाम उगमसी भाटी थे
मेवा नगर नाकोड़ा संपादित करें
जैन धर्म का राजस्थान का सबसे प्रमुख तीर्थ मेवानगर नाकोड़ा। साल भर में करोड़ो लोगो को अपनी धरा पर देखनी वाली यह जगह सबसे ज्यादा वीवीआईपी विजिट यहाँ देखती है। 12वीं शताब्दी का यह गांव किसी समय विरानीपुर के नाम से जाना जाता था। इस गांव में तीन जैन मंदिर हैं। इनमें से सबस


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