पावापुरी तीर्थ

पावापुरी तीर्थ


माउंट आबू की पहाड़ियों के नीचे चंद्रावती नगरी में स्थित 7वीं शताब्दी के विख्यात जैन मंदिर 'मीरपुर' के निकट आबुगौड पट्टी में नूतन व विशाल पावापुरी तीर्थधाम जिनालय का निर्माण हुआ है। इसकी प्राण-प्रतिष्ठा 7 फ़रवरी 2001 को जैनाचार्य श्रीमद्विजय कलापूर्ण सूरीश्वरजी म.सा. के कर कमलों से विशाल साधु-साध्वी समुदाय की उपस्थिति में हुई थी।

समारोह का शुभारंभ 29 जनवरी से होगा। इस भव्य मंदिर का निर्माण मालगाँव के दानवीर परिवार संघवी पूनमचंद धनाजी बाफना परिवार के ट्रस्ट के.पी. संघवी चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा करवाया गया है। सिरोही जिला मुख्यालय से 22 कि॰मी॰ दूर सिरोही-मंडार-डीसा राजमार्ग पर यह मंदिर बना है।

ट्रस्ट ने यहाँ 1 किलोमीटर क्षेत्र में 500 बीघा भूमि खरीदकर पहले भव्य गौशाला का निर्माण करवाया जिसमें अभी लगभग 3 हजार पशुओं का लालन-पालन आधुनिकतम तरीके से किया जा रहा है। जीवदया प्रेमी संघवी परिवार देश में किसी भी क्षेत्र में खुलने वाली गौशाला को अपने ट्रस्ट की ओर से 5 लाख रुपए प्रारंभिक सहायता के रूप में देता है।

इस गौशाला का नियमित संचालन हो तथा अधिकाधिक व्यक्ति किसी न किसी प्रकार जीवदया प्रेमी बनें, इस हेतु संघवी परिवार ने इस क्षेत्र में पावापुरी धाम बनाने की योजना बनाई तथा यहाँ पर मूलनायक के रूप में श्रीशंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान का ऐतिहासिक व कलायुक्त भव्य मंदिर बनाने का निर्णय किया। राजस्थान का सिरोही जिला 'मंदिरों का जिला' है तथा यहाँ के अनेक प्राचीन तीर्थों, मंदिरों में भगवान महावीर स्वामी का अपने जीवनकाल में पदार्पण हो चुका है।

इस जिले में विश्वविख्यात देलवाड़ा जैन मंदिर, श्रीजीरावला पार्श्वनाथ मंदिर, श्रीमुंगथला तीर्थ, श्रीबामणवाडजी तीर्थ, श्रीकोलरगढ़ तीर्थ, श्रीवरमाण, श्रीदियाणाजी, श्रीमानपुर, श्रीमीरपुर, श्रीसिवेरा, श्रीउंदरा, श्रीदंताणी, श्री संघवी भैरू तारक धाम (तलेटी) व सिरोही शहर जहाँ 14 जैन मंदिर श्रृंखलाबद्ध कतार में हैं। जैन मंदिरों के अलावा शिव मंदिर भी चारों दिशाओं में हैं- श्रीसारणेश्वरजी महादेव, श्रीमारकुंडेश्वरजी, श्रीआम्बेश्वरजी महादेव, श्रीभूतेश्वरजी महादेव व पास में ही सुंधामाताजी का भव्य मंदिर है।

मालगाँव का मूल निवासी व सिरोही में शिक्षा ग्रहण करने वाला के.पी. संघवी परिवार पिछले 30-35 वर्षों से हीरे के व्यवसाय से जुड़ा हुआ है। इसके बावजूद इस परिवार ने अपनी जन्मभूमि से लगाव बनाए रखा है तथा वह अपनी जन्मभूमि मालगाँव जिला सिरोही व प्रदेश राजस्थान को एक आदर्श गाँव-जिला-राज्य बनाने में पूरी रुचि रखता है।

जब भी देश में प्राकृतिक आपदाएँ आईं तो के.पी. संघवी चेरीटेबल ट्रस्ट ने आगे आकर सहायता का कार्य बड़े स्तर पर किया है। के.पी. संघवी परिवार को व्यापार व सेवा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में धानेरा के श्री नटवरलाल मोहनलालजी शाह एवं धोलका के जीवदया व धर्मप्रेमी श्री कुमारपाल भाई वी. शाह का विशेष आत्मीय सहयोग एवं मार्गदर्शन मिला है।

अपने पूज्य पिता श्री पूनमचंद बाफना व माता श्रीमती कनी बेन से विरासत में मिले आशीर्वाद एवं उच्च संस्कारों के अथाह भंडारों से यह परिवार दान-शील तप की आराधना में लीन होकर सत्कार्य कर रहा है। प्रचार व प्रसिद्धि से कोसों दूर रहने वाले इस दानवीर परिवार ने 'सबकी सेवा-सबको प्यार' व 'जीयो और जीने दो' के भगवान महावीर स्वामी के उपदेश को हमेशा हर क्षेत्र में चरितार्थ किया है। पावापुरी धाम में दो ब्लॉक हैं। एक ब्लॉक सुमति जीवदया धाम (गौशाला) का है तथा दूसरा पावापुरी तीर्थ धाम का है।

पावापुरी तीर्थधाम में मंदिर, उपासरा, भोजनशाला, धर्मशाला, बगीचे व तालाब बने हुए हैं। पांजरापोल में पशुओं के रहने के लिए प्रथम चरण में 42 शेड बनाए गए ताकि पशुओं को अलग-अलग रहने की सुविधा दी जा सके। बीमार पशुओं व बछड़ों के लिए भी अलग से शेड बने हैं। पशुओं के लिए डॉक्टर, कम्पाउंडर व सहायकों की स्थायी व्यवस्था है।

साथ ही उनके इलाज के लिए लिए दवाइयों की व्यवस्था रहती है। पशुओं को खिलाने के लिए पशु आहार, हरा चारा, शक्तिवर्धक लड्डू व समय-समय पर दलिया व लपसी खिलाने की व्यवस्था रहती है। उपनिदेशक पद से सेवानिवृत्त डॉ॰ श्यामसुंदर कल्ला की देखरेख में पशुओं का लालन-पालन हो रहा है। नियमित सफाई व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा जाता है। घास के लिए बड़ा घास गोदाम भी है व चराई के लिए खुला विशाल जंगल भी रखा गया है। 29 जनवरी 2001 को मुख्य सड़क के निकट 54 नए शेडों का शुभारंभ राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के हाथों होगा।

ये ओपन शेड होंगे ताकि पशुओं को हवा-पानी की प्राकृतिक सुविधा मिल सकें। पर्यावरण प्रेमी इस ट्रस्ट ने अधिकाधिक पेड़ लगाने के लिए प्रारंभ से ही काम किया है। पावापुरी धाम में 10 हजार नीम के पेड़ लगाए गए हैं। पावापुरी धाम से संघवी पर

Comments

Popular posts from this blog

राजस्थान स्थित कुम्भलगढ़ किला घाणेराव के चुनिंदा खास पर्यटन स्थल

History Of Aamer Fort आमेर के किले का इतिहास

Rishikesh Temple :