Pali district knowledge
Pali District
District. नगरीय क्षेत्रफल – 379.56 वर्ग किलोमीटर तथा ग्रामीण क्षेत्रफल – 12,007.44 वर्ग किलोमीटर है। पाली जिले की मानचित्र स्थिति – 24°45′ से 26°75′ उत्तरी अक्षांश तथा 72°48′ से 74°20′ पूर्वी देशान्तर है। पाली जिले के प्राचीन काल में गुर्जर प्रदेश के नाम से जाना जाता था
राजधानी : पाली, राजस्थान
क्षेत्रफल : 12,387 किमी²
जनसंख्या(2011):
• घनत्व : 20,38,533
165/किमी²
उपविभागों के नाम: तहसील
उपविभागों की संख्या: 9
मुख्य भाषा(एँ): हिन्दी, राजस्थानी
पाली ज़िला .. भारत के राजस्थान राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय पाली है।[1][2] ज़िले की पूर्वी सीमाएं अरावली पर्वत श्रृंखला से जुड़ी हैं। इसी सीमाएं उत्तर में नागौर और पश्चिम में जालौर से मिलती हैं। पाली शहर पालीवाल ब्राह्मणों का निवास स्थान था जब मुगलों ने कत्लेआम मचा दिया तो उन्हें यह शहर छोड़ कर जाना पड़ा। वीर योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म भी यहीं पर अपने ननिहाल में हुआ था। यह नगर तीन बार उजड़ा और बसा। यहां के प्रसिद्ध जैन मंदिर भक्तों के साथ-साथ इतिहासवेत्ताओं को भी आकर्षित करते हैं। ये राजपूत वर्चस्व वाला जिला है [3] यहाँ सभी सामान्य सीटो के 5 प्रधान राजपूत है और 85 सरपंच राजपूत है साथ ही एक मंत्री भी इसी समाज से है यहाँ मात्र 6% राजपूत हैं कीर समाज भी है
: कपिल पाणेचा पालीवालों ब्राह्मानो का हमेशा कर्ज़दार रहेगा जिन्होंने अपने रक्त से सींचा पाली को
कुषाण काल के दौरन, 120 ईस्वी में राजा कनिष्क ने रोहत और जैतारण क्षेत्र, (आज के पाली जिले) के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की थी। सातवीं शताब्दी AD सदि के अंत तक वर्तमान राजस्थान राज्य के अन्य हिस्सों के साथ-साथ चालुक्य राजा हर्षवर्धन का शासन था।
10 वीं सदी से 15 वीं सदी तक की अवधि के दौरान, पाली की सीमाओं से सटे को मेवाड़, मारवाड़ और गोडवाङ बढ़ा दिया। नाडोल चौहान वंश की राजधानी थी। सभी राजपूत शासक विदेशी आक्रमणकारियों के विरोध में थे, लेकिन व्यक्तिगत रूप से एक दूसरे की भूमि और नेतृत्व के लिए लड़ाई लड़ते थे। गोडवाङ के पाली क्षेत्र के विषय में तो मेवाड के शासक महाराणा कुंभा भी रूचि रखते थे। लेकिन पाली शहर पर ब्राह्मण शासकों का राज रहा, जो पड़ोसी राजपूत शासकों के संरक्षण में था, शांतिपूर्ण और प्रगतिशील बना रहा।
पाली जिला के मारवाड तहसील के अन्तर्गत धनला गांव का इतिहास बहुत पुराना है स्थानीय गांव के अन्तर्गत शोभा कोट नामक पहाडी है जंहा पर राव रीडमल रहते थे राव रीडमल के 29 पुत्र थे जिसमें पांचवे पुत्र राव जोधा थे जिन्होने जोधपुर की स्थापना की को राव के 23 वे पुत्र राव सायरसिंह उर्फ शेरसिहं थे जो कारण वश ध्ानला की एक नाडी में डुबने से देवलोकगमन हो गये तथा ग्रामीणो ने उनका भव्य मंदिर बनाया जो आज सारजी महाराज उर्फ भुरा राठौड के नाम से प्रसिद्व है इस गांव का इतिहास बहुत बड़ा है इस गांव में ग्राम पंचायत, सनीयर सैकडरी सहित पांच विघालय है गामीण बैक एक सरकारी व 2 निजी अस्पताल है तथा राजनीती में कांबिना मंत्री नरेन्द्र कंवर व विधायक केसाराम चौधरी इस गांव के है
एक धारणा के अनुसार पाली का नाम पालीवाल ब्राहम्णों के कारण ही पाली पड़ा है। इतिहास के कुछ अंशों से पता चलता है कि पालीवालों ने विदेशी आक्रांताओं से अपनी मातृभूमि को बचानें के लिये घोर संघर्ष एवं विरोध किया लेकिन विशाल सेना द्वारा उनके इस विरोध को दबा दिया गया और कई लोग मारे गये। वर्तमान में धोला चौतरा नामक स्थान पर पालीवाल समाज के व्यक्तियों की जनेउ व उनकी पत्नियों के स्वेत चूडों का ढेर सा लग गया था। जिसे धोला चबूतरा नामक स्थान से जाना गया था।
अन्य
पाली के समीप ओम बन्ना का स्थान बड़ा प्रसिद्ध और दर्शनीय है[5].
ओम बन्ना एक पवित्र दर्शनीय स्थल है जो राजस्थान के पाली जिले के चोटिला गांव में स्थित है। ये पाली शहर से २० किमी तथा जोधपुर से ५३ किमी दूर है। यहाँ लोग सफल यात्रा और मनोकामना मांगने दूर-दूर से आते हैं। यहाँ ये एक बुलेट के रूप में पूजे जाते हैं तथा ये मंदिर पूरी दुनिया का अनोखा और एक मात्र बुलेट मंदिर है।
Comments
Post a Comment